
अब खुद मेरे चारों और बैठे जा रहे हैं।
पहले कभी किसी ने मेरा हाल भी न पूछा,
अब सभी मेरी ही बातें किये जा रहे हैं।
सारी जिंदगी मेरे आंसू न पोंछ सका कोई,
अब सब मेरे लिए ही आंसूं बहाए जा रहे हें।
उम्र भर कोई शाभाशी तक न दे पाया मुझे,
अब सभी मेरी तारीफों के पुल बांधते जा रहे हैं।
जिन्दा रहते एक रुमाल भी भेंट न किया,
अब शालें और कपड़े ऊपर से डाले जा रहे हें।
भेदभावों के चलते जिसने हमसे किनारा कर लिया,
आज वो भी हाथ जोड़कर खड़े नज़र आ रहे हैं।
जिंदगी में एक कदम भी साथ न चल सका कोई,
अब फूलों से कन्धों पर उठा ले जा रहे हैं।
किसी ने एक वक़्त का खाना खिलाया नहीं कभी,
अब देसी घी मेरे मुंह में डाले जा रहे हैं।
सब को पता है की अब उनके काम का नहीं,
फिर भी बेचारे दुनियादारी निभाए जा रहे हैं।
अब पता चला है की जिंदगी से कितनी बेहतर है मौत,
हम तो बे-वजह ही जिंदगी की चाहत किये जा रहे हैं।